श्री हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti)
श्री हनुमान आरती के मधुर स्वर श्री हनुमान जन्मोत्सव, पूजनीय मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, पुराने मंगलवार जैसे शुभ अवसरों की शोभा बढ़ाते हैं और अखंड रामायण के भक्तिमय पाठ के दौरान गूंजते हैं।
प्रिय पाठकों, हमारी वेबसाइट ‘ब्लिसफुल भक्ति हिन्दी’ में आपका स्वागत है। यहाँ हम आपके लिए लेकर आते हैं हिन्दू धर्म आधारित चिंतन, आध्यात्म, पूजन पद्धति, मंत्रों की जानकारी, ग्रंथ, स्तुति भजन, धार्मिक कथाएँ एवं अन्य रोचक जानकारियाँ। इसी कड़ी में हम आज आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं श्री हनुमान जी की आरती |
माँ लक्ष्मी जी की आरती (Maa Lakshmi Ji ki Aarti)
सम्पूर्ण श्री गणेश जी की आरती (Shri Ganesh Ji ki Aarti)
श्री विष्णु जी की आरती (Shri Vishnu ji ki Aarti)
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति समाप्तं ॥
प्रिय पाठकों, हम यह आशा करते हैं कि आपको सम्पूर्ण श्री हनुमान जी की आरती का यह पोस्ट अवश्य अच्छा लगा होगा। आपके जो भी विचार हैं उन्हें आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। आपके हर विचार का हम सहृदय से स्वागत करते हैं। यदि आपको हमारा यह आलेख अच्छा लगा हो तो इसे अवश्य शेयर करें। आप हमारे फेसबुक से भी जुड़ सकते हैं।
0 Comments