श्री लक्ष्मी चालीसा (Shree Lakshmi Chalisa)


श्री लक्ष्मी चालीसा एक आध्यात्मिक दिशासूचक के रूप में कार्य करती है, जो साधकों को प्रचुरता, आंतरिक संतुष्टि और कृतज्ञता के जीवन की ओर मार्गदर्शन करती है। चालीस छंदों से युक्त, यह दिव्य मंत्र देवी लक्ष्मी की दिव्य ऊर्जा को श्रद्धांजलि अर्पित करता है, जो अपने भक्तों को भौतिक धन, आध्यात्मिक समृद्धि और अनगिनत आशीर्वाद प्रदान करती हैं।


प्रिय पाठकों, हमारी वेबसाइट ‘ब्लिसफुल भक्ति हिन्दी’ में आपका स्वागत है। यहाँ हम आपके लिए लेकर आते हैं हिन्दू धर्म आधारित चिंतन, आध्यात्म, पूजन पद्धति, मंत्रों की जानकारी, ग्रंथ, स्तुति भजन, धार्मिक कथाएँ एवं अन्य रोचक जानकारियाँ। इसी कड़ी में हम आज आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं  श्री लक्ष्मी चालीसा | 


दोहा

 

मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध करि पुरवहु मेरी आस॥
 
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥

सोरठा

 

यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥

 

॥ चौपाई ॥

 

सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। 
ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥

तुम समान नहिं कोई उपकारी। 

सब विधि पुरवहु आस हमारी॥


जै जै जगत जननि जगदम्बा। 

सबके तुमही हो स्वलम्बा॥


तुम ही हो घट घट के वासी। 

विनती यही हमारी खासी॥


जग जननी जय सिन्धु कुमारी। 

दीनन की तुम हो हितकारी॥


बिनवौं नित्य तुमहिं महारानी। 

कृपा करौ जग जननि भवानी।


केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। 

सुधि लीजै अपराध बिसारी॥


कृपा दृष्टि चितवौ मम ओरी। 

जगत जननि विनती सुनु मोरी॥


ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। 

संकट हरो हमारी माता॥


क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। 

चौदह रत्न सिंधु में पायो॥


चौदह रत्न में तुम सुखरासी। 

सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥


जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। 

रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥


स्वयं विष्णु जब नर तन धारा। 

लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥


तब तुम प्रगटि जनकपुर माहीं। 

सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥


अपनायो तोहि अन्तर्यामी। 

विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥


तुम सम प्रबल शक्ति नहिं आनी। 

कहँ तक महिमा करौं बखानी॥


मन क्रम वचन करै सेवकाई। 

मन- इच्छित वांछित फल पाई॥


तजि छल कपट और चतुराई। 

पूजहिं विविध भाँति मन लाई॥


और हाल मैं कहौं बुझाई। 

जो यह पाठ करे मन लाई॥


ताको कोई कष्ट न होई। 

मन इच्छित फल पावै फल सोई॥


त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। 

त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥


जो यह चालीसा पढ़े और पढवावै। 

ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥


ताको कोई न रोग सतावै। 

पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।


पुत्र हीन अरु सम्पत्ति हीना। 

अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥


विप्र बोलाय कै पाठ करावै। 

शंका दिल में कहीं न लावै॥


पाठ करावै दिन चालीसा। 

ता पर कृपा करैं जगदीसा॥


सुख सम्पत्ति बहुत ही पावै। 

कमी नहीं काहू की आवै॥


बारह मास करै जो पूजा। 

तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥


प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। 

उन सम कोई जग में कहुँ नाहिं॥


बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। 

लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥


करि विश्वास करैं व्रत नेमा। 

होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥


जय जय जय लक्ष्मी महारानी। 

सब में व्यापित जो गुण खानी॥


तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। 

तुम सम कोउ दयाल कहुँ नाहीं॥


मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। 

संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥


भूल चूक करी क्षमा हमारी। 

दर्शन दीजै दशा निहारी॥


बिन दरशन व्याकुल महतारी । 

तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥


नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। 

सब जानत हो अपने मन में॥


रूप चतुर्भुज करके धारण। 

कष्ट मोर अब करहु निवारण॥


केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। 

ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥


रामदास अब कहाई पुकारी।
करो दूर तुम विपति हमारी॥

 

दोहा

 

त्राहि त्राहि दुःख हारिणी, हरो बेगि सब त्रास।

जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रुन का नाश॥

 

रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।

मातु लक्ष्मी दास पै,  करहु दया की कोर॥

 

।। इति श्री लक्ष्मी चालीसा समाप्त।।



श्री माँ लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से होने वाले लाभ:

देवी लक्ष्मी को समर्पित पवित्र भजन, श्री माँ लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से कई लाभ और आशीर्वाद मिलते हैं। यह भक्ति अभ्यास न केवल परमात्मा के साथ हमारे संबंध को गहरा करता है बल्कि आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक प्रचुरता भी प्रदान करता है। छंदों के लयबद्ध पाठ के माध्यम से, हम अपने जीवन में धन और समृद्धि की देवी की उपस्थिति को आमंत्रित करते हैं। चालीसा वित्तीय स्थिरता, सफलता और सौभाग्य को आकर्षित करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करता है। इसके अतिरिक्त, यह आंतरिक शांति की भावना पैदा करता है, कृतज्ञता को बढ़ावा देता है और मन को शुद्ध करता है, जिससे आध्यात्मिक विकास और सामंजस्यपूर्ण अस्तित्व में वृद्धि होती है।


प्रिय पाठकों, हम यह आशा करते हैं कि आपको सम्पूर्ण श्री लक्ष्मी चालीसा का यह पोस्ट अवश्य अच्छा लगा होगा। आपके जो भी विचार हैं उन्हें आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। आपके हर विचार का हम सहृदय से स्वागत करते हैं। यदि आपको हमारा यह आलेख अच्छा लगा हो तो इसे अवश्य शेयर करें। आप हमारे फेसबुक से भी जुड़ सकते हैं।